Maa Baglamukhi Mantra to Defeat Enemies- शत्रुओं को परास्त करने की बगलामुखी तंत्र साधना
बगलामुखी साधना बहुत ही पुराने ज़माने से प्रचलित है। यह एक ऐसी साधना है जिसमें अगर आप कोई चीज़ बाधावश नहीं प्राप्त कर पा रहे तो फिर आप इस साधना के पश्चात उसे पाने में अवश्य ही सफल होंगे। बगलामुखी साधना और सिद्धि जीवन में आने वाले कई प्रकार के विषों के निवारण के लिए होती है। ऐसा माना जाता है की ज़िन्दगी में चार तरीके के विष होते हैं – इनके जीवन में रहने पर जीवन में आनंद का आना मुश्किल होता है वे हैं – क्षत्रु बाधा , कलह, भय और तिरस्कार। इन चारों विषों को रोकने के लिए और उन पर हमेशा के लिए विजय प्राप्त करने के लिए आपको गुरुकृपा से बगलामुखी माता की साधना सफलतापूर्वक पूरी करनी होगी और सिद्धि लानी होगी। एक बार यह हो गया तो आप के जीवन में आनंद की कमी नहीं रह जाती है।
बगलामुखी साधना सिद्ध हो जाने पर इतनी असरदार है की आपके क्षत्रुओं की वाक् शक्ति और बुद्धि शक्ति स्थायी हो उठेगी और चारों ओर आपकी जय जयकार हो उठेगी। बगलामुखी साधना करने से सफलता हर तरफ से साधक की ओर आ उपस्थित हो उठती है। उसे इस बात का एहसास दिलाती है की वह अपने भय पर पकड़ बना लेगा, वह एक ऐसी परिस्थिति में दूसरों को डाल सकता है जिसमें वे उसे डाल रहे थे। उसे क्षत्रु बढ़ा बनकर परेशान नहीं कर पाएंगे क्यूंकि वह अपने क्षत्रुओं पर विजय प्राप्त कर चुका होगा। वह किसी कलह में नहीं फंसेगा क्यूंकि कलह करने वाली परिस्थितियां अब उत्पन्न ही नहीं हो पाएंगी। तिरस्कार हो पाने का तो मतलब ही नहीं चूँकि तिरस्कार करने तो दूर लोग उसे बिना विनम्रता और आदर के देख और सोच ही नहीं पाएंगे।
बगलामुखी साधना से वह व्यक्ति जो इस साधना को कर रहा है पायेगा की अथर्वा प्राण सूत्र को जागृत कर लेगा और यह जागृत कर लेने से कई चीज़ें उसके संयम में आ जाएँगी। वह पायेगा की ज़्यादातर लोगों के अंदर यह प्राण सूत्र सोया हुआ होता है पर उसकी कड़ी साधना के बाद वह पायेगा की उसका यह अथर्वा प्राण सूत्र जागृत हो उठा है और वह स्तम्भन, कीलन और वशीकरण की शक्ति प्राप्त कर एक अलौकिक चरम सीमा पर पहुँच गया है।
बगलामुखी देवी सफ़ेद आसान पर, पीले वस्त्रों में और चन्द्रमा को अपने मस्तक पर विराजित करके त्रिनेत्री देवी बगलामुखी देवी साक्षात् महादेवी का स्वरुप हैं। साधक के लिए तो ये देवी मातृत्व से भरी हुई हैं। यह देवी क्षत्रु का संहार भौतिक रूप से करती है और आध्यात्मिक रूप से परमेश्वर की विनाशिनी शक्ति हैं। यह देवी पीताम्बरा विद्या के नाम से भी विख्यात है। यह शिव भगवन की शक्ति है, उनकी अर्धांगिनी है और उनका उग्र, पीतांबर, मंगलकारी रूप है।
बगलामुखी देवी के पांच मंत्र ख़ास हैं। इन्हें पंचबाण भी कहा जाता है।
पहला मंत्र है वडवामुखी मंत्र – यह वडवास्त्र रण-स्तम्भन करक है। इसका मंत्र है – ॐ हरिम हूँ ग्लौं बगलामुखी ह्लां ह्लीं ह्लं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्लः वाचं मुखं पदं स्तभ्य -स्तभ्य ह्लः ह्लौं ह्लः जिह्लः कीलय ह्लं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशय ग्लौं हूं ह्लीं ॐ हुं फट। दूसरा मंत्र है उल्काङ्मुखी मंत्र – यह तीनों लोको के स्तम्भन में सक्षम है – ॐ ह्लीं ग्लौं बगलामुखी ॐ ह्लीं ग्लौं सर्वदुष्टानां ॐ ह्लीं ग्लौं वाचं मुखं पदं ॐ ह्लीं ग्लौं स्तम्भय-स्तम्भय ॐ ह्लीं ग्लौं जिह्वां कीलय ॐ ह्लीं ग्लौं बुद्धिम विनाशय ॐ ह्लीं ग्लौं ह्लीं स्वाहा।
तीसरा मंत्र है ज्वालामुखी मंत्र – यह देवताओं और ऋषियों को स्तंभित कर सकता है। इसका मन्त्र है – ॐ ह्लीं ह्लौं ह्लीं ॐ बगलामुखी सर्वदुष्टानां ॐ ह्लीं ह्लौं ह्लीं ॐ वाचं मुखं पदं ॐ ह्लीं ग्लौं स्तम्भय-स्तम्भय ॐ ह्लीं ह्लौं ह्लीं ॐ जिह्वां किले ॐ ह्लीं ह्लौं ह्लीं ॐ बुद्धिम विनाशय ॐ ह्लीं ह्लौं ह्लीं ॐ स्वाहा।
चौथा मंत्र है जातवेदमुखी मंत्र – यह ब्रह्मा विष्णु और महेश को स्तमभित करने और उनकी रक्षा करने में काम आता है। यह मंत्र है – ॐ ह्लीं रां रीं रूं रैं रौं प्रस्फुर-प्रस्फुर बगलामुखी ॐ ह्लीं रां रीं रूं रैं रौं प्रस्फुर-प्रस्फुर सर्वदुष्टानां ॐ ह्लीं रां रीं रूं रैं रौं प्रस्फुर-प्रस्फुर वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय ॐ ह्लीं रां रीं रूं रैं रौं प्रस्फुर-प्रस्फुर जिह्वां कीलय-कीलय ॐ ह्लीं रां रीं रूं रैं रौं प्रस्फुर-प्रस्फुर बुद्धिम विनाशय-विनाशय ॐ ह्लीं रां रीं रूं रैं रौं प्रस्फुर-प्रस्फुर स्वाहा।
पांचवा मंत्र है बृहदभानुमुखी मंत्र। यह मंत्र सभी प्रकार के कामों में किया जा सकता है और होता है, यह एक अत्यंत ही शक्ति-शाली मंत्र है और इससे बहुत से अधूरे कार्य पूरे किये जा सकते हैं। यह मंत्र है – ॐ ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ॐ ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय ॐ ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ॐ जिह्वां कीलय ॐ ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ॐ बुद्धिम नशे ॐ ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ह्लां ह्लीं ह्लं ह्लैं ह्लौं ह्लः ॐ ह्लीं स्वाहा।
इस तरह आपके समक्ष आज हमने पांच अलग-अलग तीव्रता के अलग अलग मंत्र बगलामुखी तंत्र मंत्र की साधना के रखे हैं। अगर आप इनका सही दिशा में, सही तरह से पालन करेंगे तो ये विफल जाएं ऐसा शायद ही हो सकता है। आप अगर ज़रुरत वश इस कार्य को सिद्ध करने की कोशिश कर रहे हैं तो फिर आप अपना मन चित लगा कर, ध्यान से इस कार्य को शुरू करें, करें, और अंत करें चूँकि सही ढंग से करने पर यह विधियां राम बाण हैं। ये नहीं चुकेंगी, आपको अपनी ओर से निष्ठां और आस्था से काम लेना होगा, किसी भी कारण कार्य अधूरा नहीं छूट जाये इसका ध्यान रखें, छूट जाने पर शुरुआत से करना सही तरीक़ा मने तो आपके कार्य में बाधा का प्रकोप नहीं रहेगा।
अगर आप फिर भी किसी कारन वश असमंजस में हैं की क्या करना चाहिए, आप नहीं समझ पा रहे की सही रास्ता क्या है तो फिर आप हमारे ज्योतिष गुरु जी से संपर्क कर अपनी कुंडली दिखा दें या फिर तांत्रिक गुरु जी से दीक्षा ले लें – आपके सारे लेखे-जोखे को वह समझ कर वो आपको सही सलाह दे पाएगें। और सही ढंग से बगलामुखी साधना पर और गौर से बता पाएंगे।
अगर आपको कोई शत्रु परेशां कर रहा है और आप उसको हराना चाहते है तो बगलामुखी तंत्र विद्या का प्रयोग कर किसी को भी पाराष्ट कर सकते है| अपने प्रेमी को पाने या फिर पति/पत्नी को काबू करने के लिए भी बगलामुखी मंत्र का प्रयोग कर सकते है| कोई भी कार्य करने से पहले तांत्रिक गुरु जी से सलाह मश्वरा अवश्य करे और अपने जीवन के हर कांटे को दूर करे | जय माता दी|